म्यूचुअल फंड में निवेश करते समय इन 10 बातों का रखें ध्यान वरना होगा भारी नुकसान

म्यूचुअल फंड शेयर बाजार में निवेश करने का किफायती और अच्छा तरीका है। इसमें आपको अपने लिए स्टॉक रिसर्च नहीं करना होता है, आपके लिए एक एक्सपर्ट अच्छे- अच्छे शेयर का चुनाव करता है और आपके पैसे उसमे निवेश करता है। इसके बदले वो आपसे एक छोटी से फीस लेता है और आपके पैसे निवेश करता है। लेकिन म्यूचुअल फंड अगर कुछ बाते ध्यान में न दी जाए तो आपको भरी नुकसान हो सकता है।

म्यूचुअल फंड में निवेश कि बात आती है, तो बहुत सारे लोग किसी भी म्यूचुअल फंड में निवेश कर देते है। लेकिन आपको किसी भी म्यूचुअल फंड में निवेश करने से पहले कुछ जरूरी बातो का ध्यान रखना चाहिए-

1.अपनी आय और निवेश क्षमता

आप जब किसी भी म्यूचुअल फंड में निवेश करने की सोचते है , तो आपको सबसे पहले देखना है कि आपकी आय कितनी है। आप अपनी आय का कितना हिस्सा निवेश कर सकते है। अगर आपको समस्या आ रह ये तय करने में तो मैं आपकी मदद कर देता हूँ।

यदि आपके ऊपर घर की ज्यादा ज़िम्मेदारिया नहीं है , तो आप अपने कमाई का ज्यादा से ज्यादा हिस्सा निवेश कीजिये। आप इसे ऐसे भी कर सकते है, 50% निवेश कीजिये 30% में जरूरी खर्चे (जैसे- राशन,बिजली और पानी इत्यादि ) और बाकी 20% में अपने शौक की चीज़े या कोई लक्सरी चीज़ खरीद सकते है।

लेकिन अगर आपके ऊपर घर की ज़िम्मेदारिया है, तो इस रूल के उल्टा यानी 50% जरूरी खर्चे (जैसे- राशन,बिजली और पानी इत्यादि ) 30% निवेश और 20% में अपने शौक की चीज़े या कोई लक्सरी चीज़ खरीद सकते है।

2.निवेश की प्लानिंग जोखिम का आकलन के साथ

अब ऊपर की बात अगर आप ध्यान से समझ गए है , तो अब अगला सवाल आता है कि अपने उस 50% को निवेश कहाँ -कहाँ करना है। तो आप अपने इस 50% को तीन भागो में बाटो और उसका 70% इक्विटी वाले म्यूचुअल फंड में निवेश कीजिये 20% हाइब्रिड म्यूचुअल फंड में और 10% डेब्ट म्यूचुअल फंड में।


अब इक्विटी म्यूचुअल फंड ज्यादा रिस्की होता है लकिन रिटर्न बहुत अच्छा होता है , हाइब्रिड म्यूचुअल फंड थोड़ा रिस्की और और थोड़ा सुरक्षित होता है ,इसमें रिटर्न इक्विटी म्यूचुअल फंड से कम मिलता है। जबकि डेब्ट म्यूचुअल फंड पूरी बहुत ज्यादा सुरक्षित होता है। इसमें रिटर्न बैंक एफडी से थोड़ ज्यादा होता है।

अब इसे इसलिए ऐसे डिज़ाइन किया क्योकि आप पर अगर ज़िम्मेदारी कम हो तो आप रिस्क ज्यादा ले सकते है। जब रिस्क ज्यादा तो रिवॉर्ड भी ज्यादा ही मिलेगा जो आपको आगे चल कर जब आपके ऊपर ज़िम्मेदारियाँ आएगी। उस समय में मदद करेगा।

अगर आपके ऊपर ज़िम्मेदारियाँ है तो आपको बिलकुल उल्टा निवेश करना है 70% डेब्ट म्यूचुअल फंड में और 20% हाइब्रिड म्यूचुअल फंड में और 10% इक्विटी म्यूचुअल फंड में निवेश करना क्योकि अब आप ज्यादा रिस्क नहीं ले सकते है।

3.अपने वित्तीय लक्ष्य (Financial Goal) को समझें

म्यूचुअल फंड में निवेश करते समय सबसे पहले अपने फाइनेंसियल लक्ष्य को तय करें कि आपको पाने पैसे कितने समय के लिए निवेश करनी है और अपने Financial Goal के अनुसार शॉर्ट-टर्म म्यूचुअल फंड या लॉन्ग-टर्म म्यूचुअल फंड चुने।

उदाहरण के तौर पर अगर आप 3-5 साल में नई कार खरीदना चाहते हैं, तो Medium-Term Fund बेहतर हो सकता है। वहीं, रिटायरमेंट के लिए निवेश करना है तो Long-Term Fund का चयन करें।

अगर आपको मैं अपनी नीति बताऊ तो हमेशा लॉन्ग टर्म के लिए ही निवेश करे। बाकी आप अपने छोटे फाइनेंसियल गोल्स के अनुसार मीडियम और डेब्ट म्यूचुअल फंड में निवेश कर सकते है।

4.सही म्यूचुअल फंड चुनें

Mutual fund निम्न प्रकार के होते हैं:

Equity Fund: स्टॉक्स में निवेश करता है।

Debt Fund: Bonds और Fixed Income Securities में निवेश।

Hybrid Fund: Equity और Debt का मिश्रण।

Liquid Fund: शॉर्ट-टर्म जरूरतों के लिए।

उदाहरणार्थ अगर आप कम समय के लिए पैसा निवेश करना चाहते हैं, तो Liquid Fund चुनें। जिसमे से आप कभी भी और किसी भी समाय बड़ी आसानी से पैसा निकाल सकते है।

5.फंड के पिछले प्रदर्शन (Past Performance) पर ध्यान दें।

जब किसी भी म्यूचुअल फंड में निवेश करते है , तो आपको उसके पिछले सालो के परफॉरमेंस को ध्यान देना होता है। आप उसके लम्बे समय परफॉरमेंस देखिये। क्योकि लम्बे समय के परफॉरमेंस कंसीडर कर सकते है।

6.फंड मैनेजर (Fund Manager Expertise)

आपको देखना है कि आप जिस भी फण्ड में निवेश कर रहे है , वो पिछले कितने सालो से फण्ड निवेश कर रहा है। जितना ज्यादा एक्सपीरियंस हो वो उतना ही ज्यादा अच्छा होता है। एक अच्छा और अनुभवी फण्ड मैनेजर आपके पैसो पर अच्छे रिटर्न कमा कर दे सकता है।

7.एक्सपेंस रेशियो (Expense Ratio) और अन्य शुल्क

जब आप किसी भी फण्ड को चुनते है , आपको ये बहुत ही ज्यादा जरूरी है कि आप ध्यान दे कि उस म्यूचुअल फंड का एक्सपेंस रेश्यो ज्यादा न हो। ये वो फीस है जो फण्ड मैनेजर आपसे आपके पैसे निवेश करने के बदले लेता है। ये जितना ज्यादा कम हो आपके लिए उतना ही अच्छा है।

8.एसआईपी (SIP) और Lump Sum Investment

आपको ये ध्यान होगा कि आप अपना पैसा एक साथ जिसे Lump Sum Investment कहते है। इसके जरिये म्यूचुअल फंड में निवेश करना चाहते है या हर महीने एक क़िस्त के रूप में निवेश करना चाहते है ,जिसे एसआईपी (SIP) कहते है।

मैं अगर अपने निवेश नीति की बात करूँ , तो एसआईपी (SIP)के जरिये ही निवेश करना चाहिए क्योकि इसमें आपकोबाज़ार के उतार चढ़ाव का फायदा ज्यादा मिलता है। जिससे आपके रिटर्न बढ़ने की सम्भावना ज्यादा हो जाती है।

9.पोर्टफोलियो डायवर्सिफिकेशन (Portfolio Diversification)

अपने पोर्टफोलियो का डायवर्सिफिकेशन यानी सरे पैसे एक ही जगह नहीं लगाने है। आपको कुछ इक्विटी में कुछ हाइब्रिड और कुछ डेब्ट में निवेश करना है। जिसकी बात हमने ऊपर प्लानिंग वाले पॉइंट में की है। जो आपको ज्यादा रिटर्न भी दिलाती है और आपके रिस्क को भी कम करती है।

10.इमोशनल फैसले (Emotional Decisions) लेने से बचें

जब आपने म्यूचुअल फंड में निवेश का फैसला ले लिया है। तो आपको शेयर बाजार में आने वाले छोटे-मोटे गिरावटों पर ध्यान न देकर किसी दर या लालच में न आकर अपने निवेश बेचने नहीं है। क्योकि अगर आप ध्यान से देखे तो लम्बे समय में आप पैसा जरूर कमाते है।

अगर आप शेयर बाजार को ध्यान से देखेंगे तो पाएंगे लम्बे समय में ये सिर्फ बढ़ा ही है। आप नीचे देख सकते है।

बेस्ट म्यूचुअल फंड जो आपको बिना जोखिम के बम्पर रिटर्न देगा

आप अगर अच्छा और किफायती म्यूचुअल फंड चुनना चाहते है , तो आपको भारत की बढ़ती अर्थव्यवस्था पर निवेश करना है। वो भी म्यूचुअल फंड के जरिये जो आपको इंडेक्स फण्ड में कैसे निवेश के जरिये पता लगेगा। इसे पूरा पढ़े।

निष्कर्ष

आपको म्यूचुअल फंड में निवेश करने से पहले ये सभी बातो का ध्यान रखना चाहिए। ये सभी बाते ध्यान में रखने के बाद आप न सिर्फ अपना रिटर्न ज्यादा बढ़ा सकते है। ये बाते ध्यान में रखने से आप एक स्मार्ट म्यूचुअल फंड निवेशक बन सकते है।

Disclaimer – यह ब्लॉग पूरी तरह से केवल एजुकेशन पर्पस के लिए बनायीं गयी है I इस पर दी गयी जानकारी इंटरनेट से प्राप्त की गयी है, जो समय – समय पर बदल सकती है I किसी भी प्रकार का निवेश करने से पहले अपने वित्तीय सलाहकार से परामर्श करके ही निवेश करे I

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